Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan | नज़राना – एक मोहब्बत की दास्तान

मोहब्बत सिर्फ़ लफ़्ज़ों की मेहमान नहीं होती,
ये तो वो दास्तान है जो दिलों में लिखी जाती है।

Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan
Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan

Ek Mohabbat Ki Dastaan

रात का दामन तारों से सजा था, लेकिन उसके दिल का आँगन सिर्फ़ एक ही चाँद से रोशन था—नज़राना।

अब्दुल कादिर शेख के लिए मोहब्बत सिर्फ़ एक अहसास नहीं, बल्कि इबादत थी। ऐसी इबादत जो ना किसी मस्जिद तक सीमित थी, ना ही किसी मंदिर तक, बल्कि हर सांस का हिस्सा बन चुकी थी। जब भी वो नज़राना का नाम लेता, उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो जातीं। शायद इश्क़ इसी को कहते हैं—जो रूह की गहराइयों में समा जाए।

उनकी पहली मुलाक़ात कोई मामूली मुलाक़ात नहीं थी, बल्कि मुकद्दर का लिखा एक ऐसा अफसाना थी जिसमें जज़्बात स्याही बनकर दिल के पन्नों पर उतरते जा रहे थे। नज़राना की मुस्कान का अंदाज़, उसकी नर्म बातें, उसकी मासूमियत—सब कुछ जैसे किसी सुरीले गीत की तरह था, जो कादिर के दिल की तारों को छेड़ रहा था।

लेकिन मोहब्बत का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। यह एक ऐसा सफर है जिसमें आसमान की बुलंदियाँ भी होती हैं और ज़मीन की कठिनाइयाँ भी। कादिर और नज़राना की कहानी भी एक ऐसी ही दास्तान बनने जा रही थी, जिसमें इश्क़ का जुनून भी था और दुनिया की आज़माइशें भी।

नज़राना – एक मोहब्बत की दास्तान

भाग 2 – मोहब्बत के रंग

कादिर की ज़िन्दगी पहले भी खूबसूरत थी, लेकिन जब से नज़राना आई, हर लम्हा जैसे इश्क़ के रंगों में रंग गया। जब भी वो उसे देखता, दुनिया की सारी हलचल थम जाती, जैसे वक्त भी उसकी मोहब्बत की गवाही दे रहा हो।

उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगीं। हर शाम का सूरज अब उनके नाम का पैग़ाम लेकर ढलता और हर रात की चाँदनी उनकी बातों की गवाह बनती। कादिर के लिए नज़राना कोई आम लड़की नहीं थी, वो उसकी दुआओं का जवाब थी, उसके ख्वाबों की ताबीर थी।

एक शाम जब दोनों पुराने किले की ऊँची दीवारों पर बैठे थे, ठंडी हवा उनके दरमियान मोहब्बत के एहसास बिखेर रही थी। कादिर ने मुस्कुराते हुए पूछा,

नज़राना, क्या तुम्हें कभी डर लगता है?

नज़राना ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,

डर मोहब्बत से नहीं लगता, कादिर, दुनिया से लगता है।

कादिर ने गहरी सांस ली और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा,

अगर मोहब्बत सच्ची हो, तो दुनिया भी छोटी पड़ जाती है।

नज़राना चुप रही। शायद उसकी चुप्पी में कई सवाल थे, कई अधूरी कहानियाँ थीं।

लेकिन मोहब्बत जितनी हसीन होती है, उतनी ही मुश्किल भी। वक्त के साथ उनकी मोहब्बत पर भी दुनिया की नज़रें उठने लगीं। कुछ लोगों को ये रिश्ता पसंद नहीं था, कुछ रिवाजों की दीवारें थीं, और कुछ तक़दीर के अपने इम्तिहान।

क्या कादिर और नज़राना की मोहब्बत इन दीवारों को तोड़ पाएगी?
क्या इश्क़ अपनी मंज़िल तक पहुँचेगा या तक़दीर कोई नया मोड़ लेगी?

👉 अगला भाग जल्द ही!

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My name Abdul Kadir Shaikh from West Bengal India , post: Sad Shayari, Dard Shayari, Dhoka,shayari and lyrics in hindi language

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