Mohabbat ki Ankahi Daastaan | मोहब्बत की अनकही दास्ताँ
जब हवाओं में बहता था एक अजीब सा सुर,
और हर पल में गूंजती थी तेरी याद का असर,
मैंने अपने दिल के दरिया में इक आवाज़ सुनी,
जो कहती रही – “ये मोहब्बत है, अनकही, बेकरार।”
वो पहली मुलाक़ात, जब तेरी निगाहों से बिखरी रोशनी,
मेरे अँधेरे दिल में जगमगाने लगी उम्मीद की किरण,
तेरी मुस्कुराहट में खोया हर दर्द भरा एहसास,
जैसे बरसात में खिल उठता हो एक सूखा सा बग़ीचा।
मोहब्बत के फसाने में लिखे गए वो लफ़्ज़,
जो ना थे बस काग़ज़ पर उतरे हुए नक़्श,
बल्कि दिल की धड़कनों में रचे हुए गीत,
हर धड़कन में तेरे नाम का एक अनोखा संदेश।
हर शाम तेरी याद में डूब जाती थीं ये आँखें,
वो चाँदनी रातें, जब चुपके से बहता था ज़मीन पर जाम,
तेरे जाने के बाद भी, तेरी खुशबू से महकता था हर कोना,
जैसे हर सांस में बसी हो तेरी मोहब्बत की शाम।
इस इश्क़ की दास्ताँ में कई मोड़ आये,
कुछ दर्द के, कुछ ख़ुशी के, पर हर एक में तेरी याद समायी,
जब तू मेरे साथ था, तो हर ग़म में भी हंसी थी,
और तेरे बिन, हर सफ़र अधूरा सा, हर पल उदासायी।
वक़्त के पहिये ने ऐसे मोड़ लिए,
जैसे बिछड़ना भी हो गया हो इस क़िस्मत की रेत में गुम,
तेरे जाने के बाद, दिल के आंगन में छाई उदासी,
और हर लम्हा बना एक सिहरन भरा दर्द का सुरम।
मगर इस दर्द के बीच भी एक चिरकालीन आशा है,
हर टूटे ख्वाब में छिपा है एक नया रंग, एक नया नूर,
तेरी याद की लौ जली रहती है हर अंधेरी रात में,
और तेरी मोहब्बत का गीत गाता है ये दिल, हर पल, हर घूर्त।
जब हवा के झोंके संग तेरी खुशबू मिल जाती है,
मेरी रूह में भी एक नई उमंग जग जाती है,
तेरी आँखों की चमक, तेरे शब्दों की मद्धम रोशनी,
जैसे एक नई सुबह की शुरुआत कर जाती है।
इस मोहब्बत की दास्ताँ में ना कोई ख़त्म होने वाला अल्फाज़ है,
ना ही कोई आख़िरी मोड़, जहाँ सब कुछ थम जाए,
हर लफ़्ज़ में तेरी याद का एहसास बसा है,
और हर धड़कन में तेरी मोहब्बत का इज़हार हो जाए।
तेरे जाने से जो खालीपन हुआ, उसे भरने की तलाश में,
मैंने हर गली, हर मोड़ पर तेरे निशाँ ढूंढ़े,
तेरे होने की हर ख्वाहिश में मैंने खुद को पाया,
जैसे ज़िंदगी का हर पल, तेरी रूह से जुड़ा हुआ हो।
कभी-कभी सोचता हूँ, क्या तेरे प्यार की वो कहानी,
हमारी मोहब्बत का वो सुनहरा दौर फिर लौट आएगा,
जब हर दर्द के पीछे एक हँसी छुपी होती थी,
और हर आह में मोहब्बत का एक नया सुर बज उठेगा।
ये लफ़्ज़, ये नग़मे, ये ग़ज़लें मेरे दिल के आईने में हैं,
तेरी मोहब्बत की तस्वीर, जो हर रोज़ ताज़ा होती है,
हर शब्द में तेरे होने की खुशबू बसी है,
और हर शेर में तेरे जाने का वो दर्द समाया होता है।
इस दास्ताँ में मैंने पाया है अपनी पहचान को,
तेरी मोहब्बत में, तेरे फसाने में, मेरा सारा जहां,
जैसे हर लम्हा, हर सांस, एक नई कहानी कहती है,
और हर दर्द भरी शाम भी अब मुस्कुराने लगती है।
तेरे साथ बिताए हर पल की यादें हैं अमर,
जिन्हें मैं अपनी तन्हाई में सदा संजोता चलूँ,
तेरी मोहब्बत की राह में, हर कदम पर एक इकरार,
और हर सुबह में तेरे नाम की एक नई दुआ बोलूँ।
हर दर्द को पिरोकर, मैंने एक नया सफ़र शुरू किया,
तेरी मोहब्बत के उस अनकहे लफ़्ज़ को एक नया अर्थ दिया,
जैसे हर टूटे हुए ख्वाब में फिर से जिंदगी खिल उठती है,
और हर धड़कन में तेरी मोहब्बत का एक नया गुलशन खिल दिया।
वो वक्त, वो मुलाक़ातें, वो यादें,
अभी भी मेरे दिल के कोने-कोने में बसी हुई हैं,
तेरे इश्क़ ने हर ग़म में मुझे एक नया सबक सिखाया,
और हर आँसू ने तेरे प्यार का असली रस उजागर किया।
आज भी, जब रात का अंधेरा छा जाता है,
और चाँद की रोशनी में तेरी तस्वीर झलक जाती है,
मुझे एहसास होता है कि ये मोहब्बत, ये दर्द, ये आस,
हर एक लम्हे में, हर एक धड़कन में, मेरे इश्क़ का अनंत गीत गा जाती है।
यह दास्ताँ ना सिर्फ़ एक कहानी है,
बल्कि मेरे जज़्बातों का आईना, मेरे सपनों की गहराई,
जहाँ हर शेर, हर मिसरा, तेरी मोहब्बत की खुशबू बिखेरता है,
और हर शब्द में तेरे नाम की महक, एक दुआ की तरह बसती है।
मेरी मोहब्बत के फसाने – अनकहे, अधूरे सही,
पर हर दास्ताँ में तेरी यादें, हर दर्द में तेरे निशाँ हैं,
ये लफ़्ज़, ये नग़मे, मेरी रूह की आवाज़ बनकर,
हर सुबह नई उम्मीद जगाते हैं, हर शाम तेरा इकरार कराते हैं।
और इस तरह, मेरी मोहब्बत की अनकही दास्ताँ,
ना कभी खत्म होने वाली कहानी बनी रहे,
हर लम्हा, हर सांस में तेरी याद का इकरार हो,
और हर रात, तेरे नाम का तराना एक नई दुआ बनकर बजे।
Mohabbat ki Ankahi Daastaan
Writer:- A K Shaikh
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