Adhuri Mohabbat Ki Dard Bhari Kahani | Ek Sacchi Prem Kahani – Part3

Ek Adhuri Mohabbat Ki Dard Bhari Kahani

23 November 2015: Ek Adhuri Mohabbat Ki Dard Bhari Kahani (23 नवंबर 2015 – एक अधूरी मोहब्बत की रात)

23 November 2015 ka din meri mohabbat ki dukh bhari kahani likh gaya. Yeh ek adhuri mohabbat ki kahani hai jo dil ke kareeb hai.

Ek Adhuri Mohabbat Ki Dard Bhari Kahani
Ek Adhuri Mohabbat Ki Dard Bhari Kahani

Ek Adhuri Mohabbat Ki Dard Bhari Kahani

उस दिन सूरज भी कुछ बुझा-बुझा सा था,
जैसे उसे भी मेरी मोहब्बत का अंजाम पता था।
हवा के झोंके धीमे पड़ गए थे,
शायद वो भी मेरे दिल की उदासी को सुन रहे थे।
आसमान में कहीं-कहीं बादल बिखरे थे,
जैसे मेरी आंखों के किनारे अटकी कुछ बिन बरसी बूंदें।

Ek Mook Shehar, Ek Cheekhta Dil (एक मूक शहर, एक चीखता दिल)

शहर अपनी रफ्तार में खोया था,
हर कोई अपनी दुनिया में मग्न था।
पर मेरी दुनिया तो उसी दिन उजड़ गई थी,
जिस दिन तुम्हारा निकाह तय हुआ था।
23 नवंबर 2015… एक तारीख नहीं,
मेरी मोहब्बत की मज़ार बन गई थी।

 

मुझे याद है वो पल,
जब मेरे दोस्तों ने धीरे से कहा –
आज उसकी शादी है…
और मैं बस चुपचाप खड़ा रहा,
जैसे किसी ने मेरे दिल से
सारे लफ्ज़ निकाल लिए हों।
कहने को तो दुनिया वही थी,
पर मेरे अंदर सब बदल चुका था।

Jab Baraat Nikli Thi… (जब बारात निकली थी…)

उस शाम जब बारात निकली,
तो मैंने भी एक कोने में खड़े होकर देखा था,
सजधज कर सजी हुई वो डोली,
जिसमें मेरी मोहब्बत किसी और के नाम हो चुकी थी।
सुनहरी जोड़ा पहने,
हाथों में महंदी सजाए,
तेरे चेहरे पर वो नूर था,
जिसका हक़दार मैं कभी नहीं हो सका।

 

मेरे दोस्तों ने कहा,
चलो, कहीं दूर चलते हैं, भूल जाओ उसे।
पर मैं कहां भूल सकता था?
जिसकी हंसी मेरी धड़कनों में बसी हो,
जिसकी आंखों में मैंने अपनी दुनिया देखी हो,
उसे कोई कैसे भूल सकता है?

Woh Vidaai Ka Lamha  (वो विदाई का लम्हा)

जब तेरी डोली उठी,
तो मेरा दिल किसी शीशे की तरह चटक गया।
लोगों के आंसू शायद खुशी के थे,
मगर मेरी आंखें ख़ाली थीं,
जैसे उनमें अब कुछ देखने को बचा ही न हो।

 

मैंने सुना, तू रोई थी,
तेरी आंखों में नमी थी,
शायद तेरे दिल के किसी कोने में
मेरा नाम अब भी बाकी था।
पर मोहब्बत हमेशा साथ रहे,
ये ज़रूरी तो नहीं…
कभी-कभी किसी की खुशी के लिए
अपने प्यार को अलविदा कहना पड़ता है।

Woh Shaadi Aur Mera Toota Dil (शादी की शहनाई और मेरे दिल का सन्नाटा)

रात ढल चुकी थी,
पर मेरी आँखों में नींद नहीं थी।
खिड़की से झांककर देखा,
तो चाँद भी आधा था,
शायद मेरे दर्द में शरीक था।

 

मैंने एक खत लिखा,
जिसे कभी भेज नहीं सका –
अगर मेरी मोहब्बत में सच्चाई थी,
तो तू जहाँ भी रहे, खुश रहना।
और फिर, मैंने उस खत को जला दिया…
जैसे अपनी मोहब्बत की आखिरी उम्मीद को राख कर दिया हो।

Aaj Bhi Woh Tareekh Zinda Hai…  (आज भी वो तारीख ज़िंदा है…)

आज भी हर साल 23 नवंबर आती है,
और मैं उसी उदास शाम में लौट जाता हूँ।
शायद वक़्त ने बहुत कुछ बदल दिया,
पर मेरे दिल के एक कोने में
वो मोहब्बत अब भी जिंदा है।

Ek Sachi Mohabbat Ki Kahani

लोग कहते हैं, भूल जाओ उसे…
पर कोई उन्हें समझाए,
जो सच में मोहब्बत करते हैं,
वो कभी नहीं भूलते…
वो बस मुस्कुराने की एक्टिंग करना सीख जाते हैं।

💔 मोहब्बत मुकम्मल न हो, तो भी जिंदा रहती है… Dil Ko Choone Wali Love Story 💔

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Writer:- A K Shaikh

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Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan | नज़राना – एक मोहब्बत की दास्तान Part1- Part2

Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan

Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan | नज़राना – एक मोहब्बत की दास्तान

मोहब्बत सिर्फ़ लफ़्ज़ों की मेहमान नहीं होती,
ये तो वो दास्तान है जो दिलों में लिखी जाती है।

Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan
Nazrana – Ek Mohabbat Ki Dastaan

Ek Mohabbat Ki Dastaan

रात का दामन तारों से सजा था, लेकिन उसके दिल का आँगन सिर्फ़ एक ही चाँद से रोशन था—नज़राना।

अब्दुल कादिर शेख के लिए मोहब्बत सिर्फ़ एक अहसास नहीं, बल्कि इबादत थी। ऐसी इबादत जो ना किसी मस्जिद तक सीमित थी, ना ही किसी मंदिर तक, बल्कि हर सांस का हिस्सा बन चुकी थी। जब भी वो नज़राना का नाम लेता, उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो जातीं। शायद इश्क़ इसी को कहते हैं—जो रूह की गहराइयों में समा जाए।

उनकी पहली मुलाक़ात कोई मामूली मुलाक़ात नहीं थी, बल्कि मुकद्दर का लिखा एक ऐसा अफसाना थी जिसमें जज़्बात स्याही बनकर दिल के पन्नों पर उतरते जा रहे थे। नज़राना की मुस्कान का अंदाज़, उसकी नर्म बातें, उसकी मासूमियत—सब कुछ जैसे किसी सुरीले गीत की तरह था, जो कादिर के दिल की तारों को छेड़ रहा था।

लेकिन मोहब्बत का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। यह एक ऐसा सफर है जिसमें आसमान की बुलंदियाँ भी होती हैं और ज़मीन की कठिनाइयाँ भी। कादिर और नज़राना की कहानी भी एक ऐसी ही दास्तान बनने जा रही थी, जिसमें इश्क़ का जुनून भी था और दुनिया की आज़माइशें भी।

नज़राना – एक मोहब्बत की दास्तान

भाग 2 – मोहब्बत के रंग

कादिर की ज़िन्दगी पहले भी खूबसूरत थी, लेकिन जब से नज़राना आई, हर लम्हा जैसे इश्क़ के रंगों में रंग गया। जब भी वो उसे देखता, दुनिया की सारी हलचल थम जाती, जैसे वक्त भी उसकी मोहब्बत की गवाही दे रहा हो।

उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगीं। हर शाम का सूरज अब उनके नाम का पैग़ाम लेकर ढलता और हर रात की चाँदनी उनकी बातों की गवाह बनती। कादिर के लिए नज़राना कोई आम लड़की नहीं थी, वो उसकी दुआओं का जवाब थी, उसके ख्वाबों की ताबीर थी।

एक शाम जब दोनों पुराने किले की ऊँची दीवारों पर बैठे थे, ठंडी हवा उनके दरमियान मोहब्बत के एहसास बिखेर रही थी। कादिर ने मुस्कुराते हुए पूछा,

नज़राना, क्या तुम्हें कभी डर लगता है?

नज़राना ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,

डर मोहब्बत से नहीं लगता, कादिर, दुनिया से लगता है।

कादिर ने गहरी सांस ली और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा,

अगर मोहब्बत सच्ची हो, तो दुनिया भी छोटी पड़ जाती है।

नज़राना चुप रही। शायद उसकी चुप्पी में कई सवाल थे, कई अधूरी कहानियाँ थीं।

लेकिन मोहब्बत जितनी हसीन होती है, उतनी ही मुश्किल भी। वक्त के साथ उनकी मोहब्बत पर भी दुनिया की नज़रें उठने लगीं। कुछ लोगों को ये रिश्ता पसंद नहीं था, कुछ रिवाजों की दीवारें थीं, और कुछ तक़दीर के अपने इम्तिहान।

क्या कादिर और नज़राना की मोहब्बत इन दीवारों को तोड़ पाएगी?
क्या इश्क़ अपनी मंज़िल तक पहुँचेगा या तक़दीर कोई नया मोड़ लेगी?

👉 अगला भाग जल्द ही!

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Mohabbat Ki Kahani | Tera Intezaar Rahega | Mohabbat Bewafa Nahi Hoti | Mohabbat Ki Kahani 13 october

Tera Intezaar Rahega meri adhu

Mohabbat Bewafa Nahi Hoti | Mohabbat Ki Kahani | Tera Intezaar Rahega |

Ek mulaqat jo zindagi ban gayi…

Tera Intezaar Rahega meri adhu
Tera Intezaar Rahega

 

Aaj se lagbhag 19 saal pehle, ek aisi nazar mili jo dil ke andar tak utar gayi. Pehli baar jab aankhon ne dekha, toh dil ne bas ek hi baat kahi—yeh hai meri mohabbat. Yeh silsila chalta raha, aur ek saal baad humari mohabbat ek khoobsurat dastaan ban gayi.

Paanch saal tak yeh pyaar dono taraf se barabar tha. Har mulaqat me ek naye sapne sajte, har baat me ek naye ehsaas ubharte. Phir ek din, zindagi ki majbooriyan samne aayi. Mujhe pardes jaana pada, kuch banne ke liye, kuch kamane ke liye. Tab socha tha dooriyaan sirf fiziki hongi, lekin shayad yeh dooriyan dil me bhi jagah banane lagi thi.

Aath mahine baad jab wapas gaya, toh mehsoos kiya ki kuch badal raha hai. Uske pyaar me wo pehli si shiddat nahi thi. Pehle socha ki shayad yeh bas ek ehsaas ho, lekin waqt ke saath sab saaf hota gaya. Phir bhi, main uska intezaar karta raha, uski baaton pe bharosa karta raha. Ek mohabbat jo meri rooh me bas chuki thi, usse kaise chhod deta?

Pehle wo roz baat karti thi, phir hafte me ek-do baar hone laga. Jab poocha toh bas ek hi jawab tha—”Ghar ka mobile nahi milta, isliye baat nahi ho pa rahi.” Maine phir bhi yakeen kiya, kyunki mohabbat bharose ka naam hoti hai.

Ek din jab maine apna phone uske liye chhod diya, taaki hum bejhijhak baat kar sakein, tab bhi kuch na badla. Waqt beeta, baatein kam hoti gayi. Ek din, jab uska phone band aane laga, toh dil ghabra utha. Phir ek din sach saamne aaya—wo kisi aur ki ho chuki thi.

13 October 2015, shaam ke 4 baje… yeh wo din tha jab usne mujhe chhod diya. Ek pal me sab bikhar gaya. Jo mohabbat ek misaal thi, ek kahani thi, wo ek dhokhe ki daastaan banne lagi. Par dil maanta nahi tha. Mujhe bas ek jawab chahiye tha—”Kyun?”

Zindagi aage badhti gayi, lekin dil wahi atka raha. Teen saal baad jab usse phir mila, tab bhi uske chehre par ek ghabrahat thi. Maine kuch nahi poocha, bas uske chehre ko dekhta raha. Kyunki ab jawab maangne ka koi matlab nahi tha. Jo mohabbat thi, wo ab bhi thi. Jo intezaar tha, wo ab bhi tha. Bas ek umeed thi, ki ek din wo sach bolegi, aur wo pal aayega jab mohabbat phir se sajegi.

Agar wo ek pal ke liye bhi laut aaye, toh main use apna lunga. Na koi shart, na koi sawal. Bas ek mohabbat, jo na waqt se haari, na bewafai se.

तेरा इंतज़ार रहेगा | Tera Intezaar Rahega

एक मुलाक़ात जो ज़िंदगी बन गई…

आज से लगभग 19 साल पहले, एक ऐसी नज़र मिली जो दिल के अंदर तक उतर गई। पहली बार जब आँखों ने देखा, तो दिल ने बस एक ही बात कही—यही है मेरी मोहब्बत। यह सिलसिला चलता रहा, और एक साल बाद हमारी मोहब्बत एक खूबसूरत कहानी बन गई।

पाँच साल तक यह प्यार दोनों तरफ से बराबर था। हर मुलाक़ात में नए सपने सजते, हर बात में नए एहसास उभरते। फिर एक दिन, ज़िंदगी की मजबूरियाँ सामने आईं। मुझे परदेस जाना पड़ा, कुछ बनने के लिए, कुछ कमाने के लिए। तब सोचा था दूरियाँ सिर्फ़ जिस्मानी होंगी, लेकिन शायद यह दूरियाँ दिल में भी जगह बनाने लगीं।

आठ महीने बाद जब वापस गया, तो महसूस किया कि कुछ बदल रहा है। उसके प्यार में वो पहली सी शिद्दत नहीं थी। पहले सोचा कि शायद यह बस एक एहसास हो, लेकिन वक़्त के साथ सब साफ़ होता गया। फिर भी, मैं उसका इंतज़ार करता रहा, उसकी बातों पर भरोसा करता रहा। एक मोहब्बत जो मेरी रूह में बस चुकी थी, उसे कैसे छोड़ देता?

पहले वो रोज़ बात करती थी, फिर हफ्ते में एक-दो बार होने लगा। जब पूछा तो बस एक ही जवाब था—”घर का मोबाइल नहीं मिलता, इसलिए बात नहीं हो पा रही।” मैंने फिर भी यकीन किया, क्योंकि मोहब्बत भरोसे का नाम होती है।

एक दिन जब मैंने अपना फोन उसके लिए छोड़ दिया, ताकि हम बेझिझक बात कर सकें, तब भी कुछ न बदला। वक़्त बीता, बातें कम होती गईं। एक दिन, जब उसका फोन बंद आने लगा, तो दिल घबरा उठा। फिर एक दिन सच सामने आया—वो किसी और की हो चुकी थी।

13 अक्टूबर 2015, शाम के 4 बजे… यह वो दिन था जब उसने मुझे छोड़ दिया। एक पल में सब बिखर गया। जो मोहब्बत एक मिसाल थी, एक कहानी थी, वो एक धोखे की दास्तान बनने लगी। पर दिल मानता नहीं था। मुझे बस एक जवाब चाहिए था—”क्यों?”

ज़िंदगी आगे बढ़ती गई, लेकिन दिल वहीं अटका रहा। तीन साल बाद जब उससे फिर मिला, तब भी उसके चेहरे पर एक घबराहट थी। मैंने कुछ नहीं पूछा, बस उसके चेहरे को देखता रहा। क्योंकि अब जवाब मांगने का कोई मतलब नहीं था। जो मोहब्बत थी, वो अब भी थी। जो इंतज़ार था, वो अब भी था। बस एक उम्मीद थी, कि एक दिन वो सच बोलेगी, और वो पल आएगा जब मोहब्बत फिर से सजेगी।

अगर वो एक पल के लिए भी लौट आए, तो मैं उसे अपना लूंगा। न कोई शर्त, न कोई सवाल। बस एक मोहब्बत, जो न वक़्त से हारी, न बेवफ़ाई से।

Writer:- A K Shaikh

Story:- Tera Intezaar Rahega

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